लाखों पशुओं के वध का अवशेष भी तो प्रदूषणकारी होता है, आइये सब मिलकर पर्यावरण के संरक्षण हेतु जुटें-तिलक
Friday, October 7, 2016
दिसंबर तक सभी प्रकाश स्तंभ सौर ऊर्जा से परिचालित होंगे
दिसंबर तक सभी प्रकाश स्तंभ सौर ऊर्जा से परिचालित होंगे
तिलक नदि। प्रकाशस्तंभ और प्रकाशपोत महानिदेशालय (प्रप्रमहानि), शिपिंग मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत एक अधीनस्थ संगठन है। वर्तमान में यह 193 प्रकाशस्तंभों का रखरखाव कर रहा है जो देश के समुद्रीय तट क्षेत्र में आवागमन करने वाले नाविकों को समुद्रीय स्थैतिक दिशा में सहायता उपलब्ध कराता है।
अधिकांश प्रकाशस्तंभ ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों जैसे विध्युत और डीजल जेनरेटर से परिचालित थे जिसमें जीवाश्म ईंधन की भारी खपत होने के कारण भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हो रहा था। जिससे हरित प्रभाव बढ़ने के साथ-साथ वायु प्रदूषण में भी बढ़ोतरी हो रही थी। 1 मेगा वाट ऑवर (एमडब्ल्यूएच) विद्युत यदि जीवाश्म ईंधन से पैदा की जाती है तो इससे लगभग 900 किलो कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम करने के लिए डीजीएलएल ने पारंपरिक ऊर्जा का स्रोत बदलने का निर्णय लिया और नवीकरण ऊर्जा के रूप में सौर ऊर्जा के उपयोग से अपने प्रकाशस्तंभों का कार्यारम्भ कर दिया। आज के दिन तक 176 प्रकाशस्तंभों को पूर्णतया सौर ऊर्जा पर चलाया जा रहा है। निदेशालय ने 31/12/2016 तक सभी प्रकाशस्तंभों को पूर्णतया सौर ऊर्जा से चलाने का लक्ष्य अर्जित करने की योजना बनाई है। सभी प्रकाशस्तंभों के सौर ऊर्जा से परिचालित होने पर लगभग 1.5 (एमडब्ल्यूएच) ऊर्जा का सृजन होगा। जिससे प्रतिदिन 6000 किलोग्राम ग्रीन हाउस गैसों का कम उत्सर्जन होगा। सौर ऊर्जा कृत होने से डीजीएलएल के अधीन प्रकाशस्तंभ हरित ऊर्जा से परिचालित होंगे। यह सरकार के पर्यावरण संरक्षण के लिए हरित ऊर्जा के अधिकतम उपयोग के प्रयास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पग है। इसके अतिरिक्त प्रकाशस्तंभ विश्वसनीय, लचीला और नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली से परिचालित होने पर वैश्विक ऊष्मा के उत्सर्जन में कमी आएगी।
आधुनिक विकास के नाम पश्चिमी स्वचालित मशीनीकरण
अँधानुकरण से सृजन नहीं, गैस उत्सर्जन प्रदूषण होता है!लाखों पशुओं के वध का अवशेष भी तो प्रदूषणकारी होता है, आइये सब मिलकर पर्यावरण के संरक्षण हेतु जुटें-तिलक
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Sunday, September 11, 2016
यह प्रक्षेपण स्वदेशी निम्नतापीय उच्च श्रेणी था और यह पहली परिचालन उड़ान है
श्रीहरिकोटा,
भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में सफलता के नये शिखर को छूते हुए अत्याधुनिक मौसम उपग्रह इनसैट-3 डीआर को जीएसएलवी-एफ 05 के माध्सम से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया। इस 49.13 मीटर उंचे रॉकेट को यहां के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सायं प्रायः 4:50 बजे प्रक्षेपित किया गया और यह तत्काल नीले गगन की अथाह गहराइयों में विलीन हो गया तथा प्रायः 17 मिनट के बाद इस 2,211 किलोग्राम के इनसैट-3डीआर को भूस्थैतिक स्थानांतरण कक्षा में स्थापित कर दिया। इससे पूर्व इस प्रक्षेपण को 40 मिनट के लिए संशोधित किया और इसका प्रक्षेपण सायं चार बजकर 50 मिनट निर्धारित किया गया। इस अंतरिक्ष स्टेशन के दूसरे प्रक्षेपण स्थल से इसे चार बजकर 10 मिनट पर छोड़ा जाना निर्धारित किया गया था। अधिकारियों ने कहा था कि इसके प्रक्षेपण में 40 मिनट की देरी हुयी। निम्नतापीय प्रक्रिया में देरी के कारण प्रक्षेपण चार बजकर 50 मिनट पर निर्धारित किया गया। इनसैट-3डीआर को इस प्रकार से तैयार किया गया है कि इसका जीवन 10वर्ष का होगा। यह पहले मौसम संबंधी मिशन को निरंतरता प्रदान करेगा तथा भविष्य में कई मौसम, खोज और बचाव सेवाओं में क्षमता का विस्तार करेगा। आज का यह मिशन जीएसएलवी की 10वीं उड़ान थी और इसका भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए बड़ा महत्व है क्योंकि यह स्वदेशी निम्नतापीय श्रेणी वाले रॉकेट की पहली परिचालन उड़ान है। पहले, निम्नतापीय स्तर वाले जीएसलवी के प्रक्षेपण विकासात्मक चरण के तहत होते थे। जीएसएलवी-एफ 05 ने स्वदेश में विकसित निम्नतापीय उच्च श्रेणी की सफलता की हैट्रिक भी बनाई है। इसरो के एक अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, जीएसएलवी-एफ05 का आज का प्रक्षेपण अति महत्वपूर्ण है क्योंकि निम्नतापीय उच्च श्रेणी को ले जाने वाली जीएसएलवी की यह पहली परिचालन उड़ान है। पहले के प्रक्षेपण विकासात्मक होते थे। उपयोग किया गया इंजन रूसी था। आज का प्रक्षेपण स्वदेशी निम्नतापीय उच्च श्रेणी था और यह पहली परिचालन उड़ान है। वर्ष 2014 की सफलता के बाद भारत उन प्रमुख देशों के समूह में शामिल हो गया था जिन्होंने स्वदेशी निम्नतापीय इंजन और श्रेणी में सफलता अर्जित की है। आज की सफलता से उत्साहित इसरो प्रमुख एएस किरण कुमार ने वैज्ञानिकों के अपने समूह को एक और सफलता के लिए बधाई दी और कहा कि उपग्रह को कक्षा में स्थापित कर दिया गया है। सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (शार) के निदेशक पी कुनिकृष्णन ने कहा कि आज का प्रक्षेपण सुव्यविस्थत था जहां उपग्रह को बहुत सटीक ढंग से भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित किया गया। किरण कुमार ने कहा, अद्भुत काम के लिए इसरो के पूरे समूह को बहुत बधाई। इस काम को जारी रखिए। इनसैट-3डीआर के कक्षा में स्थापित होने के बाद कर्नाटक के हासन स्थित मुख्य नियंत्रण कक्ष के वैज्ञानिक कक्षा में इसके आरंभिक अभ्यास को कार्यरूप देंगे और बाद में इसे भू-स्थिर कक्षा में स्थापित करैंगे। इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि इस प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मौसम उपग्रह इनसैट 3DR को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया है। विशेष बात यह है कि GSLV से पहली बार इस मौसम उपग्रह को छोड़ा गया है। इस उपग्रह से बचाव सेवाओं के साथ-साथ मौसम से संबंधित जानकारियों को सटीकता से जाना जा सकेगा। इसरो ने श्रीहरिकोटा से इस प्रक्षेपण को संभव बनाया।
https://www.youtube.com/watch?v=U_x85pn0J9A&list=PL7A5AE8D973083B10&index=16लाखों पशुओं के वध का अवशेष भी तो प्रदूषणकारी होता है, आइये सब मिलकर पर्यावरण के संरक्षण हेतु जुटें-तिलक
http://antarikshadarpan.blogspot.in/2016/09/blog-post.html
Thursday, July 7, 2016
विकास एवं पर्यावरण साथ साथ चलते हैं: अनिल माधव दवे
विकास एवं पर्यावरण साथ साथ चलते हैं: अनिल माधव दवे
प्रकाश जावड़ेकर से प्रभार संभालने वाले नवनियुक्त पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे ने आज कहा कि विकास और पर्यावरण एक दूसरे के विरूद्ध नहीं हैं। जावड़ेकर के कार्यकाल में पर्यावरणवादी कार्यकर्ताओं ने हरित नियमों को शिथिल बनाने की आशंका प्रकट की थी। अब मानव संसाधन विकास मंत्री बने जावड़ेकर की उपस्थिति में दवे ने कहा कि उनके पूर्ववर्ती द्वारा हाथ में ली गयी सभी परियोजनाएं जारी रहेंगी किन्तु उन्हें विभाग के कामकाज को समझने में एक सप्ताह लगेगा। जब उनसे पूछा गया कि वह पर्यावरण एवं विकास के बीच कैसे संतुलन स्थापित करेंगे, उन्होंने कहा, ‘‘विकास एवं पर्यावरण साथ साथ चलते हैं। वे एक दूसरे के विरूद्ध नहीं हैं। हमें इस मुद्दे को इस प्रकार देखने की जरूरत है।’’
गंगा के ऊपरी प्रवाह में पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण को लेकर पर्यावरण एवं जल संसाधन मंत्रालयों के बीच ठने रहने के बीच दवे ने कहा, ‘‘हर नदी को बहना चाहिए।’’ अपने जन्मदिन पर मंत्रालय का प्रभार संभालने वाले दवे ने दिल्ली में वायु प्रदूषण पर अंकुश पाने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा अपनायी गयी सम-विषम योजना पर कहा, ‘‘प्रयोगों से सीखने की जरूरत है लेकिन राजनीति एवं प्रयोग को अलग अलग रखा जाना चाहिए।’’
जब दवे से पूछा गया कि चूंकि उन्होंने नर्मदा संरक्षण पर काम किया है, ऐसे में नदियों की साफ सफाई एवं उनके पुनरूद्धार के लिए उनकी कोई विशेष योजनाएं हैं, उन्होंने कहा कि वह पहले शगल के रूप में काम कर रहे थे, अब वह वही काम संविधान के ढांचे में करने का प्रयास करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में मंगलवार को एक बड़े विस्तार के तहत दवे को पर्यावरण मंत्रालय के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में शामिल किया गया है। हरित कार्यकर्ताओं द्वारा पर्यावरण मंत्रालय की आलोचना पर दवे ने कहा कि सराहना और आलोचना जारी रहेगी क्योंकि सहस्त्रों वर्षों से ऐसा होता रहा है। जब उनसे पूछा गया कि कांग्रेस ने इस सूचना के बाद आंदोलन करने की धमकी दी कि पर्यावरण मंत्रालय जनजातियों के वन अधिकारों को शिथिल बना रहा है, दवे ने कहा कि ऐसी नीतियां एक के बाद एक कर आयी सरकारों द्वारा शुरू की गयी निरंतर प्रक्रिया का भाग हैं। सरकार में परिवर्तन के विषय पर उन्होंने कहा कि यह नियमित प्रक्रिया है।
गैस उत्सर्जन प्रदूषण होता है! लाखों पशुओं के वध का अवशेष भी तो प्रदूषणकारी होता है,
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