-आधुनिक विकास के नाम पश्चिमी मशीनीकरन स्वचालित अँधानुकरण से सृजन नहीं गैस उत्सर्जन होता हैयही नहीं आडम्बर में प्रयुक्त लकड़ी हेतु वृक्ष काट कर प्रकृति का विसर्जन होता हैसृष्टी में स्वस्थ जीवन को चाहिए शुद्ध जल और शुद्ध वायु. जलवायु/पर्यावरण के संरक्षण हेतु जुटें तिलक.(निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें,संपर्कसूत्र तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 09999777358.

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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :
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Friday, October 7, 2016

दिसंबर तक सभी प्रकाश स्तंभ सौर ऊर्जा से परिचालित होंगे

दिसंबर तक सभी प्रकाश स्तंभ सौर ऊर्जा से परिचालित होंगे 
तिलक नदि। प्रकाशस्तंभ और प्रकाशपोत महानिदेशालय (प्रप्रमहानि), शिपिंग मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत एक अधीनस्थ संगठन है। वर्तमान में यह 193 प्रकाशस्तंभों का रखरखाव कर रहा है जो देश के समुद्रीय तट क्षेत्र में आवागमन करने वाले नाविकों को समुद्रीय स्थैतिक दिशा में सहायता उपलब्ध कराता है। 
अधिकांश प्रकाशस्तंभ ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों जैसे विध्युत और डीजल जेनरेटर से परिचालित थे जिसमें जीवाश्म ईंधन की भारी खपत होने के कारण भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हो रहा था। जिससे हरित प्रभाव बढ़ने के साथ-साथ वायु प्रदूषण में भी बढ़ोतरी हो रही थी। 1 मेगा वाट ऑवर (एमडब्ल्यूएच) विद्युत यदि जीवाश्म ईंधन से पैदा की जाती है तो इससे लगभग 900 किलो कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम करने के लिए डीजीएलएल ने पारंपरिक ऊर्जा का स्रोत बदलने का निर्णय लिया और नवीकरण ऊर्जा के रूप में सौर ऊर्जा के उपयोग से अपने प्रकाशस्तंभों का कार्यारम्भ कर दिया। आज के दिन तक 176 प्रकाशस्तंभों को पूर्णतया सौर ऊर्जा पर चलाया जा रहा है। निदेशालय ने 31/12/2016 तक सभी प्रकाशस्तंभों को पूर्णतया सौर ऊर्जा से चलाने का लक्ष्य अर्जित करने की योजना बनाई है। सभी प्रकाशस्तंभों के सौर ऊर्जा से परिचालित होने पर लगभग 1.5 (एमडब्ल्यूएच) ऊर्जा का सृजन होगा। जिससे प्रतिदिन 6000 किलोग्राम ग्रीन हाउस गैसों का कम उत्सर्जन होगा। सौर ऊर्जा कृत होने से डीजीएलएल के अधीन प्रकाशस्तंभ हरित ऊर्जा से परिचालित होंगे। यह सरकार के पर्यावरण संरक्षण के लिए हरित ऊर्जा के अधिकतम उपयोग के प्रयास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पग है। इसके अतिरिक्त प्रकाशस्तंभ विश्वसनीय, लचीला और नवीकरणीय ऊर्जा प्रणाली से परिचालित होने पर वैश्विक ऊष्मा के उत्सर्जन में कमी आएगी।  
आधुनिक विकास के नाम पश्चिमी स्वचालित मशीनीकरण अँधानुकरण से सृजन नहीं, गैस उत्सर्जन प्रदूषण होता है!
लाखों पशुओं के वध का अवशेष भी तो प्रदूषणकारी होता है, आइये सब मिलकर पर्यावरण के संरक्षण हेतु जुटें-तिलक