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Saturday, June 7, 2014

पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन नीति

पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन नीति

Thursday, June 5, 2014

पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को कहा कि और अधिक पारदर्शिता लाने के लिए पर्यावरण संबंधी स्वीकृतियां ऑनलाइन ली जाएंगी।
अब पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी लीजिए ऑनलाईन

जावड़ेकर ने कहा, 'विचारणीय विषयों और पर्यावरण स्वीकृति के प्रस्ताव के लिए ऑनलाइन सेवा प्रणाली आज से प्रभावी है। 25 दिन तक ऑनलाइन और हार्ड कॉपी दोनों तरह से प्रस्ताव दिए जा सकते हैं।' 

उन्होंने कहा, 'किन्तु 1 जुलाई से यह पूरी तरह ऑनलाइन होगा। यह पारदर्शिता का शुभारम्भ है। अब किसी को कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाना होगा और अपने प्रस्ताव ऑनलाइन जमा कर सकते हैं।'

जावड़ेकर ने कहा कि उन्होंने मंत्रालय का कामकाज संभालते समय घोषणा की थी कि और अधिक पारदर्शिता के लिए प्रणाली को ऑनलाइन बनाया जाएगा।

वह विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह के बीच बात कर रहे थे।

मंत्री ने कहा कि भारत को जलवायु परिवर्तन पर हो रही चर्चा में 'खलनायक' की भाँति नहीं प्रस्तुत करना चाहिए, बल्कि इस चर्चा को नई दिशा दी जानी चाहिए।

उन्होंने अपने मंत्रालय और जनता के बीच सार्थक संवाद पर बल देते हुए कहा कि हम भिन्न -
भिन्न स्थानों पर लोगों से भेंट जारी रखेंगे।
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
 मीडिया विकल्प बने; पत्रकारिता में आधुनिक विचार, लघु आकार -सम्पूर्ण समाचार -युद।
आधुनिक विकास के नाम पश्चिमी स्वचालित मशीनीकरण
अँधानुकरण से सृजन नहीं, गैस उत्सर्जन प्रदूषण होता है!
लाखों पशुओं के वध का अवशेष भी तो प्रदूषणकारी होता है,
आइये सब मिलकर पर्यावरण के संरक्षण हेतु जुटें-तिलक 

सरकारी कार्यालयों का समय

सरकारी कार्यालयों का समय

प्रात: 9 से 7 बजे तक होंगे, केंद्र के सरकारी कार्यालयों का समय!
-मोदी की सरकार में केंद्रीय कर्मचारियों, प्रात: 9 से सायं 7 बजे तक काम करना पड़ पड़ेगा। शनिवार की छुट्टी भी समाप्त  हो जाएगी, साथ ही काम के घंटे भी बढ़ सकते हैं।
केंद्र सरकार ने काम की गति बढ़ाने और समय पर पूरा करने के उद्देश्य से मंत्रालयों और विभागों में वर्तमान कार्यप्रणाली को पूरी तरह बदलने की पहल की है। सूत्रों के अनुसार, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को इसके लिए मंत्रिमंडल आसंधि 'नोड' तैयार करने को कहा गया है और संसद सत्र के तुरंत बाद इसे मं मं की स्वीकृति मिल सकती है। इस बारे में मंगलवार को नरेंद्र मोदी सभी सचिवों से विचार करने वाले थे, किन्तु गोपीनाथ मुंडे के निघन के कारण बैठक नहीं हो सकी।
इन प्रस्तावों पर विचार
> रविवार को छुट्टी हो और शनिवार को सभी मंत्रालय और विभाग खुले रहें।
> कार्यालय का कामकाज प्रात: 8 बजे से सायं 4 बजे तक हो।
> कार्यालय 8 से 6 हो और 'लंच' दो घंटे का हो, जिसमें कर्मियों को आराम मिले।
> कार्यालय का कामकाज प्रात: 9 बजे से लेकर सायं 7 बजे तक चलता रहे।
> जब तक आदेश नहीं होता, तब तक सभी सचिवों को मौखिक निर्देश से शनिवार को कार्यालय आना होगा। 
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
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आधुनिक विकास के नाम पश्चिमी मशीनीकरण, स्वचालित अँधानुकरण से;
 सृजन नहीं गैस उत्सर्जन होता है | पर्यावरण के संरक्षण हेतु जुटें; -तिलक

स्वास्थ्य मंत्री का जीवन सुरक्षा अभियान

स्वास्थ्य मंत्री का जीवन सुरक्षा अभियान

Wednesday, June 4, 2014

सुरक्षा पेटी 'सीट बैल्‍ट' का उपयोग श्री गोपीनाथ मुंडे के प्राण बचा सकता था
स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन
केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के अनुसार कर में सुरक्षा पेटी का उपयोग श्री गोपीनाथ मुंडे के प्राण बचा सकता था। डॉ. हर्षवर्धन ने दिवंगत ग्रामीण विकास मंत्री की अंत्‍येष्टि में सम्मिलित होने के लिए बीड, महाराष्‍ट्र प्रस्थान करने से पूर्व कहा ‘अधिकांश लोग मानते हैं कि कार में पिछली सीट पर लगाई गयी पेटी, केवल सजावट के उद्देश्‍य से लगाई जाती है। मैंने मात्र इस एक भ्रांन्ति के चलते अपना मित्र खो दिया है। वास्‍तव में अगली सीटों की पेटी की भांति पिछली सीट पर पेटी लगाना भी अनिवार्य होता है। किसी अप्रिय स्थिति में यह जीवन बचाने का कारण हो सकती है।’
      मंगलवार को श्री गोपीनाथ मुंडे का निधन एक दुर्घटना के कारण हो गया था। लाल बत्‍ती को पार कर एक कार ने श्री मुंडे की कार को टक्‍कर मार दी थी। इस दुर्घटना से उनकी कार को तो अधिक क्षति नहीं पहुंची, किन्तु कार को लगे तेज धक्‍के के कारण श्री मुंडे की गर्दन के जोड़ और उनकी रीढ़ की हड्डी को गंभीर चोट पहुंची, जिसके कारण मस्तिष्‍क को रक्त की आपूर्ति बाधित हुई और तत्‍काल उनकी हृदय गति और सांस रुक गयी। इसके अतिरिक्त उनका यकृत (जिगर) भी फट गया था और इसमें से रक्त बह रहा था। देश ने एक महत्‍वपूर्ण जननेता और समर्थ मंत्री खो दिया है। 

अगस्‍त, 1997 में ऐसी ही एक दुर्घटना में ब्रिटेन की प्रिंसेस डायना के प्राण चले गए। उनकी द्रुतगति कार पेरिस में एक भूमिगत सुरंग में खम्‍भे से टकरा गई थी। 2007 में ऐसी ही एक दुर्घटना में, दिल्‍ली के पूर्व मुख्‍यमंत्री साहिब सिंह वर्मा की कार की ट्रक से हुई टक्‍कर के कारण निधन हो गया था। आज मैं उन अनेक लोगों के दु:ख को अनुभव कर पा रहा हूं जो सुरक्षा पेटी की आवश्‍यकता को अस्वीकरण से कार दुर्घटना में अपने प्रिय जनों को खो देते हैं। 

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय का अभियान
      डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्रालय गाड़ी चलाते समय सुरक्षा नियमों की अनदेखी करने वाले लोगों को, जागृत करने की पहल करेगा।
      स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि सुरक्षा के बारे में स्‍वयं सेवी संगठनों के सहयोग से मल्‍टी मीडिया अभियान चलाने पर विचार किया जा रहा है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा ‘’ मुख्‍य ध्‍यान प्रत्‍यक्ष रूप से दुर्घटना के शिकार अथवा उन बच्‍चों पर दिया जायेगा, जिन्‍हें अभिभावक पिछली सीट पर बैठाते है अथवा जिनकी पर्याप्‍त देखभाल नहीं की जाती। बच्‍चे गलत लोगों का अनुकरण भी कर सकते हैं।
      स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि गलत ढ़ग से अथवा अंधाधुंध गाड़ी चलाने वाले लोगों का अनुकरण करने की बजाय बच्‍चों को सही ढ़ग से जीवन जीना सिखाना चाहिए। स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने कहा कि यह चिंता की बात है कि विश्व के अन्‍य देशों की तुलना में भारत में युवा वर्ग आजकल सुरक्षा पेटी और सुरक्षा टोपी (मोटरबाइक चलाते समय) लगाने में रूचि नहीं लेते। अनुसंधान से पता चला है कि विशेषकर महिला चालकों और मोटरसाइकिल चालकों, विशेषकर से पिछली सीट पर बैठी महिलाओं में यह रूझान बहुत अधिक देखा गया है। 
      डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, ‘’ मैं कार और बाइक चालकों को सुरक्षा के बारे में जागरूक करने के लिए देशभर में पैट्रोल डीलर एसोसियशन का सहयोग चाहता हूं। डॉ. हर्षवर्धन ने जनता से अपील करते हुए कहा, ‘’ आइये गोपीनाथ मुंडे की त्रासदी को क्रांतिकारी परिवर्तन के रूप में लें।‘’
      उन्‍होंने कहा, ‘’मंत्री जी की त्रासदी और असमय मृ‍त्‍यु को सभी वाहन चालकों को चेतावनी के रूप में लेना चाहिए। 
एक जीवन बचाना, एक जीवन बनाने के समान है और समाज में 
संभावित परिवर्तन लाने वाला ही भविष्‍य को सुरक्षित कर सकता है।‘’
नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प 
-युगदर्पण मीडिया समूह YDMS- तिलक संपादक 9911111611, 7531949051
एजेंडा विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प।
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गंगा नदी पुनरोद्धार

गंगा नदी पुनरोद्धार

गंगा नदी विकास से पर्यटन तथा परिवहन बढ़ाने और इसे पर्यावरण संगत बनाने के लिए बैठक 
गंगा नदी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने, मछली पालन विकास को बढ़ाने तथा बिजली उत्पादन योग्य बनाने के लिए सड़क परिवहन, राजमार्ग तथा जहाजरानी मंत्री श्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा पुनरोद्धार मंत्री सुश्री उमा भारती, पर्यावरण वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर तथा पर्यटन मंत्री श्री श्रीपद यशो नाइक की बैठक हुई। बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में सुश्री उमा भारती ने कहा कि गंगा के विषय में सरकार की प्राथमिकता और पार्टी घोषणा पत्र के  अनुरूप आगे बढ़ने के लिए हम लोगों ने समय-समय पर मिलने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि देश की अन्य नदियों के विकास के लिए भी ऐसे मानक तैयार किये जाएंगे। 

मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में यह निर्णय किया गया कि जल संसाधन मंत्रालय में सचिव की अध्यक्षता में लगभग एक माह में योजना तैयार करने के लिए सचिवों की एक अंतर मंत्रालय समिति बनाई जाएगी। श्री नितिन गडकरी ने बताया कि इसके बाद इस विषय में एक कैबिनेट नोट तैयार किया जाएगा। श्री गडकरी ने कहा कि यह प्रस्ताव है कि नदियों के तल से मिट्टी निकाली जाए, जिससे चौड़ाई 45 मीटर और गहराई 3 मीटर हो, तथा वाराणसी से हुगली तक गंगा नदी में यात्रियों और सामानों का आवागमन हो सके। गंगा के किनारे 11 'टर्मिनल' बनाने का भी प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक 100 किलोमीटर पर 'बराज' बनाने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि कोयला, उर्वरक तथा अनाज आदि का आवागमन नदियों के माध्यम करने के लिए इसका विकास किया जाएगा। श्री गडकरी ने बताया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन गंगा अनुसंधान संस्थान बनाने का प्रस्ताव है। संभवतः यह रूड़की में बनेगा और पर्यटन मंत्रालय नदियों के किनारे पर्यटन विकसित करने संबंधी कदम उठाएगा। पर्यावरण मंत्रालय कानपुर तथा अन्य स्थानों पर विभिन्न उपाय कर नदी को अपरिवर्तित बनाये रखेगा। 
मोदी का एजेंडा है विकास अर्थात न्यूनतम मंत्रिमंडल से अधिकतम परिणाम का संकल्प। मीडिया विकल्प बने; पत्रकारिता में आधुनिक विचार, लघु आकार -सम्पूर्ण समाचार -युद।
आधुनिक विकास के नाम पश्चिमी मशीनीकरण, स्वचालित अँधानुकरण से;
 सृजन नहीं गैस उत्सर्जन होता है | पर्यावरण के संरक्षण हेतु जुटें; -तिलक

Thursday, June 5, 2014

पर्यावरण बचाने के लिए करें पहल

पर्यावरण बचाने के लिए खुद भी करें पहल
हर साल पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। मगर पर्यावरण को हम कितना सुरक्षित रख पा रहे हैं? यह आए दिन मौसम में बदलाव, नदियों में कचरे की अधिकता, सड़कों पर फैलता ध्वनि और वायु प्रदूषण बड़ी समस्या के रूप में सामने है। बढ़ती आबादी के लिए घरों के निर्माण से हरियाली सिमट रही है। ये इस बात का संकेत हैं कि पर्यावरण पर संकट के बादल छा चुके है। वह दिन दूर नहीं जब हमारे आस-पास सिर्फ मशीनी दुनिया होगी। पानी, हवा हर चीज में जहर घुल चुका होगा। धरती विनाश की तरफ अग्रसर हो जाएगी।
पर्यावरण को बचाने में हमारा योगदान बहुत जरूरी है। पेड़-पौधे से लेकर वन्य-प्राणी का जीवन इसी पर्यावरण पर टिका है। दिन-ब-दिन कटते जंगल हमारे वन्य जीवों का आवास छीन रहे हैं। नतीजा इन जानवरों ने शहरों का रूख करना शुरू कर दिया है। शहर आकर ये उत्पाद मचाते हैं जिसका बड़ा कारण है जंगलों का लगातार काटा जाना। मनुष्य विकास के नाम पर पर्यावरण को दिन-रात नुकसान पहुंचा रहा है। कहते हैं कि अगर एक पेड़ काटो तो साथ में दस पौधे लगाओ भी।
आए दिन बढ़ते मोबाइल टॉवर और एसी से पक्षियों के जीवन पर असर पड़ रहा है। मगर कुछ सरल उपाय कर पर्यावरण को बचाने में आपका सहयोग महत्वपूर्ण हो सकता है। आम बल्ब की जगह सीएफएल को अपने घर में जगह दें। अब तो बाजार में एलईडी बल्ब भी आ चुके हैं यह थोड़ी महंगे जरूर हैं पर पर्यावरण को बचाने में कारगर हैं। साथ में ये बल्ब ऊर्जा भी बचाते हैं।
बिजली बचाकर भी हम पर्यावरण के लिए योगदान दे सकते हैं जैसे वाशिंग मशीन की जगह हाथ से कपड़े धोना, रात को कम्प्यूटर स्लीप मोड पर रखने की बजाय उसे पूरी तरह स्विच ऑफ कर देना। जब भी ओवन में खाना बनाएं उसे प्री-हीट न करें बल्कि उसी वक्त ऑन करें ताकि ज्यादा बिजली की बर्बादी न हो। खाना बनाते वक्त बार-बार ओवन को खोल कर देखने से अतिरिक्त बिजली खर्च होती है। इसलिए टाइमर सेट करें या बाहर से देखें। ऐसा करने से काफी बिजली की बचत होगी।
कई चीजें ऐसी होती हैं जिन्हें हम व्यर्थ मानकर फेंक देते हैं। जबकि उनका रिसाइकिल हो सकता हैं। कांच की चीजें पर्यावरण के लिए खतरनाक हैं क्योंकि इन्हें नष्ट होने में लाखों साल लग जाते हैं। कांच की चीजों को रिसाइकिल कर उपयोग में लाकर पर्यावरण का हित किया जा सकता है। कांच की चीजों को रिसाइकिल कर दूसरी चीजें बनाने में कम एनर्जी लगती है।
अक्सर हम कागज के पन्ने का थोड़ा सा इस्तेमाल कर उसे फेंक देते हैं। क्या आप जानते हैं कि दुनिया का एक दिन का अखबार लाखों पेड़ों के बलिदान का नतीजा होता है। इन्हें रिसाइकिल कर इस्तेमाल करने से लाखों पेड़ कटने से बच सकते हैं। कागज का अच्छी तरह इस्तेमाल करें। कागज का दुरूपयोग पर्यावरण के लिए हानिकारक है। पुराने कागज और गत्ते का रचनात्मक ढंग से उपयोग भी किया जा सकता है।
मोबाइल फोन की नई तकनीक आते ही लोग पुराने मोबाइल फोन को छोड़ देते हैं। क्या आप जानते हैं ऐसा करने से हर साल कई लाख फोन बेकार हो जाते हैं। मोबाइल को लैंडफिल में डाल दिया जाता है जिस कारण उसकी बैटरी से निकलने वाला प्रदूषण हमारे पर्यावरण के लिए सुरक्षित नहीं है। हमेशा जब भी पुराना मोबाइल फोन हटाएं उसे रिसाइकिल के लिए दे दें।
पानी का प्रयोग करते समय भी ध्यान रखने की जरूरत है। नहाने के लिए शॉवर की जगह बाल्टी का इस्तेमाल करें। गाड़ी धोने के लिए कम पानी में सफाई करने वालों को ही लगाएं। ब्रश या शेविंग करते वक्त नल खुला न छोड़ें। गर्मी में अक्सर लोग बाहर से बोतलबंद पानी खरीदते हैं। इस्तेमाल के बाद इसे फेंक दिया जाता है। पर्यावरण के हिसाब से इसे नष्ट होने में हजारों साल लग जाते हैं। इसलिए जब भी बाहर निकलें, पानी का थर्मस लेकर निकलें।
कागज का कम से कम इस्तेमाल हो, इसका विकल्प मौजूद है। आनलाइन टिकट, सॉफ्टवेयर डाउनलोड करना, बिल का भुगतान आनलाइन करना वगैरह। इससे कई लाख पेड़ों को कटने से बचाया जा सकता है। सबसे बड़ी चीज यह है कि ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएं ताकि पर्यावरण सुरक्षित रह सके। प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल न करें। इसकी जगह जूट या कपड़े का बैग चुनें। पर्यावरण की रक्षा करें और सुरक्षित रहें।
आधुनिक विकास के नाम पश्चिमी मशीनीकरण, स्वचालित अँधानुकरण से; सृजन नहीं गैस उत्सर्जन होता है | पर्यावरण के संरक्षण हेतु जुटें; -तिलक